पैत्तिक दाह, मुंह सूखना, घबराहट, जलन, गर्मी से जी मिचलाना तथा मूत्र दाह में लाभकारी।
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पैत्तिक दाह, मुंह सूखना, घबराहट, जलन, गर्मी से जी मिचलाना तथा मूत्र दाह में लाभकारी।
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पैत्तिक दाह, मुंह सूखना, घबराहट, जलन, गर्मी से जी मिचलाना तथा मूत्र दाह में लाभकारी।
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तुलसी बीज का चूर्ण-मूत्र दाह व विसर्जन में कठिनाई होने तथा ब्लड प्रेशर की सूजन होने व पथरी में तुरन्त लाभ करता है.
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इसके अलावा तरबूज के कुछ प्रयोग घरेलू इलाज के रूप में भी हैं-मूत्र दाह: तरबूज के बीच में से गोलाई में टुकड़ा काटकर निकालें और इस जगह से तरबूज में शकर डाल दें, फिर वह टुकड़ा तरबूज में लगाकर रातभर ओस में रखें।
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इसके अलावा तरबूज के कुछ प्रयोग घरेलू इलाज के रूप में भी हैं-मूत्र दाह: तरबूज के बीच में से गोलाई में टुकड़ा काटकर निकालें और इस जगह से तरबूज में शकर डाल दें, फिर वह टुकड़ा तरबूज में लगाकर रातभर ओस में रखें।
8.
यह रक्तस्तम्भन, मूत्रवर्द्धक है तथा एण्टीसैप्टिक होने के कारण रक्तविकार, रक्तस्राव (खून का बहना), खांसी, वमन (उल्टी), अतिसार (दस्त), दाद, मूत्र दाह (पेशाब में जलन), बुखार तथा रक्तप्रदर में गुणकारी है।
9.
यहाँ के आदिवासी तरबूत का रस मिट्टी के बर्तन में लेकर उसे रात के समय में खुले आसमान में रख देते हैं ताकि इस पर ओंस पड़े, सुबह इसमें चीनी मिलाकर उस रोगी को देते हैं जिसे लिंग पर घाव हुआ हो और मूत्र दाह में जलन होती हो।